Sunday, January 30, 2011

"ये भ्रष्टतंत्र खटकता है"

पिछले दिनों के घटनाक्रम पे जब नजर डालता हूँ तो कुछ बातों को लेकर थोड़ा असहज महसूस करता  हूँ .....
एक तरफ देश को आजादी दिलाने वाले महापुरुषों को याद किया जाना
और फिर देश के किसी राज्य में शांति के लिए फरीयाद    किया  जाना
विश्व के बड़ी अर्थव्यवस्था में नाम का आना
और फिर किसी गरीब का भूखे पेट सो जाना
विश्व का सबसे बड़ा गणतंत्र कहलाना
और फिर देश में झंडा फहराए जाने से कतराना
एक ईमानदार अधिकारी का  जिन्दा जलाया जाना
और फिर से एक मसले का न्यायलय तक आ जाना.  

जब देश और    समाज         को         टटोलता हूँ
खुशफहमी की पोटली को जब रोशनी में खोलता हूँ
लगता है की      सरेआम  लुटा जा रहा हूँ
देश का भविष्य सोच-सोच टूटा जा रहा हूँ
कुछ बोलने को होता हूँ तो मन में कुछ अटकता है
संसद से सड़क तक का      ये भ्रष्टतंत्र खटकता है
धन्यवाद"


5 comments:

Unknown said...

कुछ बोलने को होता हूँ तो मन में कुछ अटकता है
संसद से सड़क तक का ये भ्रष्टतंत्र खटकता है
सही कहा आपने,,,,,,,,,,,,,,,,

Patali-The-Village said...

यह भ्रष्टतंत्र तो सभी को खटकता है| पर बोलते हुए सभी का मन अटकता है|

केवल राम said...

लगता है की सरेआम लुटा जा रहा हूँ
देश का भविष्य सोच-सोच टूटा जा रहा हूँ
कुछ बोलने को होता हूँ तो मन में कुछ अटकता है
संसद से सड़क तक का ये भ्रष्टतंत्र खटकता है

आपने बहुत बेबाकी से बात कही है ..आपके हौसले को सलाम ...आप यूँ ही अनवरत लिखते रहें ....शुभकामनायें

palash said...

अपनी बात ईमानदारी से कही , अच्छा लगा पढ कर ।

शिवा said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति।हार्दिक बधाई.कभी समय मिले तो हमारे ब्लॉग //shiva12877.blogspot.com पर भी अपनी एक नज़र डालें .