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संचार के विभिन्न माध्यमों से मुझ तक पहुँचने वाली बातों में से कुछ बातें जो कि मुझे अक्सर परेशान करती हैं या फिर कुछ बातें जिनपर मै अपना स्पष्ट विचार नहीं दे पाता उनपर आज आप सबके विचार जानना चाहूँगा की क्या ये बातें आप सबको नहीं शालती? या फिर क्या आप इन्हें लेकर निरुत्तर से नहीं हों जाते?????
बातें तो वैसे बहुत सारी हैं, लेकिन दस प्रमुख बातें जो आज कल भी चर्चा के विषय हैं वे हैं............
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या फिर उनके आय का स्रोत व्यवसाय है???????
यदि व्यवसाय उनके आय का स्रोत है तो फिर राजनीति के क्षेत्र में रहकर वे देश सेवा के बजाय व्यवसाय कर रहे हैं या फिर यूँ कहें कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का हिस्सा होकर भी वे अपना शत प्रतिशत इसे नहीं दे रहे?
२. एक नेता जो पिछले ६ सालों में ६ बार इस्तीफा दे चुका जनता उसपर विश्वास कैसे कर लेती है?
३. कल तक वोट बैंक की राजनीति करने वाले जो लोग एक ऐसे संगठन का सपोर्ट कर रहे थे जो कि आज एक आतंकी संगठन घोषित हो चुका है, तो फिर सरकार उनपर देश द्रोह का मुकदमा चलाकर उन्हें जेल में क्यों नहीं डालती?
या फिर उन्हें फाँसी देने कि बात क्यों नहीं की जाती?
४. जिस एक आतंकी को पकड़ने के लिये कई वीर भारतीय सपूतों ने अपना खून बहाया उसे फाँसी देने के नाम पर राजनीती क्यों की जाती है?
क्या अपने बेटे की जान लेने वाले या फिर अपना खून बहाने वाले के साथ ये लोग ऐसा ही व्यवहार करेंगे??????????
५. यदि कहीं कोई आतंकी विस्फोट हो गया तो फिर उसमें किसी मंत्री का क्या दोष, फिर उसे इस्तीफा देने की सलाह क्या सोचकर दे दी जाती है????????
ऐसी मांग करने वाले क्या खुद ही उस जगह होने पर इस बात का दावा कर सकते हैं की वे वैसा नहीं होने देते?
६. प्रतिदिन पार्टी और विचारधारा बदलने वालों को जनता सबक क्यों नहीं सिखाती????????
इसे रोकने के लिये सख्त कानून क्यों नहीं बनाये जाते????????
७. आरक्षण देकर सरकार क्या एक खास वर्ग या समुदाय को सीधे तौर पर छोटा दिखने का प्रयास नहीं कर रही?
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आरक्षण की समय सीमा क्या होगी????????
क्या कोई सरकार इसे ख़त्म करने को हिम्मत जुटा पायेगी?????????????
यदि नहीं तो फिर हम भविष्य के लिये परेशानियाँ क्यों पाल रहे हैं??????????
आरक्षण की मांग को लेकर जब लोग इस कदर उतारू हैं तो फिर लागू करने से पहले इसे ख़त्म करने के वक्त की स्थिति के बारे में भी तो सोच लें.और फिर यदि आप ये सोचते हैं कि पिछड़ेपन की स्थिति हमेशा बनी रहेगी तो इसका मतलब की आप अपनी नीतियों को सही मायने में लागू करने में नाकाम रहने के बारे में पहले से ही आश्वस्त हैं.
८.नक्सलवाद की समस्या लगातार बढती जा रही है, क्या इसके लिये हमारी गलत नीतियाँ जिम्मेदार नहीं हैं?????????
और यदि हाँ तो फिर ७-८ साल के कार्यकाल को छोड़कर शेष समय सत्ता में रहने वाली कांग्रेस सरकार इसके लिये किसे जिम्मेदार ठहरायेगी????????
९.जातिगत जनगणना क्या हमारे बीच फूट डालने की एक सोची समझी साजिश नहीं है?????????
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जातिगत राजनीति या फिर कुछ और?????????
१०. आज से महज पाँच साल पहले की बात है कि अटल बिहारी वाजपेयी जी को सुनने के लिये मैंने मई के महीने में तीन घंटे तक धूप में खड़ा रहा लेकिन आज स्थिति ये है कि कुछ एक को छोड़ दें तो सुनने जाना भी पसंद न करूँगा,ऐसी स्थिति के लिये जिम्मेदार कौन है ???????????
राजनीति और राजनितिक बातों से ज्यादा ताल्लुक नहीं रखता लेकिन आज की पोस्ट तो पूरी राजनितिक हो गई. खैर मेरी अंतराभिव्यक्ति जो थी जैसे भी थी वो अब आपके सामने है. कहिये आप क्या कहना चाहेंगे ????????????????????
धन्यवाद!!!
3 comments:
राजनीति से दूर रहते हुए भी इतना सब लिखा?
काफी अटपटा लगा जान के की आप राजनीति से दूर है ??
खैर आज कल की राजनीति से तो दूर रहने में ही भलाई है ...
शीर्षक ही आपके सारे प्रश्नों का जबाब है:
’हम किस गली जा रहे हैं...."
ham gali ko ujaale ki teraf modege
itne achhe vichar ke liye badhai
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