Monday, May 3, 2010

"जाओ जाकर जीतो जग को"

http://www.howtogetback.com/blog_images/small_love_poems.jpg पिछले दिनों चल रही परीक्षाओं ने यह सोचने का ज्यादा मौका ही नहीं दिया की पिछले दो साल से जिन लोगों की हमारे बीच उपस्थिति  हमे बल देती थी,जब हम लोग कॉलेज कैम्पस में नए थे तब जिन लोगों ने हमें पग-पग पर चलना सिखया वो लोग अब कैम्पस में पहले की तरह नहीं मिलने वाले. झार-खंडात्मक संबंधों(झारखण्ड में चलने वाले राजनितिक सम्बन्ध) में विश्वास नहीं रखता और शायद यही कारण है कि आज-कल कुछ अटपटा सा महसूस कर रहा हूँ. ख़ुशी है कि संचार के विभिन्न माध्यम अब भी हमें जोड़े रख सकेंगे लेकिन फिर भी कुछ कमी सी है. खैर छोडिये  ज्यादा भावुक होने की ज़रूरत नहीं. आज सबसे  पहले उन सभी लोगों से कहता चलूँ कि:

ऐ मेरे अन्जान अपरिचीत जीवन पथ के  
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgc3DVF14VB29iCieqQHj9G71QhkvL25fd_kwohEi9yCKN-zK-mKJVkKygeLHAxfOggfwzBG-PslmOK4kdVcAaR8ZkVEZXtnHSc6Max_bIN4zBi4vJcINmvxgV3UZFwwhZEyhUua-WsuXOQ/s400/256928733_e09a18341b.jpgपरिचीत साथी
मेरे दुःख के साथी
या फिर
मेरे कहकहों के सहयोगी
मै रहूँगा आजीवन
तुम्हारा आभारी 
नहीं जानता हूँ कल को
परन्तु जानता हूँ कि
कल अलग हो जाने हैं रास्ते हमारे
शायद इतने दूर और इतने अलग की
फिर मिल न सके
लेकिन विश्वास दिलाता हूँ कि
याद रखूँगा तुम्हे
अपने उन बीते हुए लम्हों के साथ
और तुमसे भी उम्मीद रखूँगा
कुछ ऐसा हीं"

इस समय और मौसम से ताल्लुक रखने वाली अपनी ये पंक्तियाँ भी लिखता  चलूँ ..............

"अबतक तुम कहा किये की हमको भूल न पाओगे
                            अब सुन लो तुम मेरी भी याद बहुत  तुम आओगे."

"हाँ   सफ़र  में    दूर    जाने     को कहेंगे
पर   दिलों   से  दूर   कैसे   कर    सकेंगे
दूर है मंजिल    अभी   लम्बा     सफ़र है               
शायद सफर में साथ फिर कभी रह सकेंगे"

 परीक्षाएँ ख़त्म हुईं तो झटपट मूवी देखने का प्लान बना डाला और हाल ही में रिलीज हॉउस फुल देखने पहुँच गया. समय अच्छा कट गया और साथ ही यह सीख मिल गई की लगातार असफलताएँ आदमी को भले ही बंनौती बना दें,लेकिन इमानदारी ,सच और आगे बढ़ने की चाहत किसी न किसी रूप में किसी सैंडी से साक्षात्कार करवा जाएगी जो कि पूरे जीवन की दशा और दिशा बदल देगी. अपने सीनियर्स के लिये कहना चाहूँगा की यदि अबतक उन्हें किसी तरह  की असफलता हाथ लगी हो तो परेशान न हों आने वाला कल सब ठीक कर देगा लेकिन आवश्यकता है: कड़ी मेहनत,दूर दृष्टि और सच्चे लगन की. सबके उज्जवल भविष्य के लिये ढ़ेर सारी शुभकामनाओं के साथ ही यह कहना चाहूँगा की आप जहाँ भी रहें विजेता बनकर रहें.

 

http://michal-yablong.tripod.com/imagelib/sitebuilder/pictures/photos/ocean.jpg
    
चलते-चलते एक चीर परिचीत पंक्ति भी याद दिलाता  चलूँ......
                        "उजाले अपनी    यादों के   हमारे   साथ रहने दें
                                 न जाने किस गली में जिन्दगी की शाम हो जाए"

 धन्यवाद"

5 comments:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

रचना दिल को छू गई........

रचना त्रिपाठी said...

भाई वाह! बहुत अच्छी कविता लिखी है आपने ।
कविता का अलग ब्लॉग बनाइये। बहुत अच्छी रचना कर लेते है।

संजय भास्‍कर said...

बहुत अच्छी कविता लिखी है

कौशल लाल said...

बहुत सुन्दर ......

Dr.NISHA MAHARANA said...

very touching ....