-आज तो साहब बैठे ही नहीं या फिर आज बहुत काम था इसलिए हो नहीं पाया.
पिछले एक सप्ताह में यहाँ के बारे में बहुत कुछ जानने और समझने का मौका मिला. यहाँ पहुँचने वाले दिन पूरे दिन की दौड़ भाग के बाद संस्थान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराया,रहने के लिए पेइंग गेस्ट की खोज की और फिर अपनी आवश्यकता के कुछ स्थानों के बारे में जानकारी एकत्रित किया. इन सबमे " ग्रुप प्यार " का सम्मिलित प्रयास रहा. ३६ घंटे की यात्रा और फिर पूरे दिन के भाग दौड़ के बाद हम लोग अब एक दूसरे से बात चीत करने के मूड में भी नहीं थे. शाम को लगभग ८ बजे सोने के बाद हम लोग सुबह ८ बजे तक जगने की स्थिति में आ सके. फिर DRDO में शनिवार और रविवार की छुट्टी ने यहाँ के बारे में जानने और समझने का अच्छा अवसर दे दिया. अल्सुर लेक, शिव मंदिर, नेशनल पार्क, चिन्नास्वामी स्टेडियम, आई,आई.एम बैंगलुरू और फिर आते जाते रास्ते में मिलने वाले विभिन्न स्थानों को देखा और फोटोग्राफ्स लिए. कुछ फोटोग्राफ्स तो आज पोस्ट कर रहा हूँ और कुछ को अगली पोस्ट में स्थान दूंगा.
कानपुर की गर्मी से दूर यहाँ का सदा एक सा बना रहने वाला तापमान यहाँ सबसे अच्छा लगा. साथ ही सफाई और पेड़ पौधों से सजा हरा-भरा शहर सुखद अनुभूति दे रहा है. आजकल आसमान में उमड़ते-घुमड़ते बादल प्रतिदिन थोड़ी वर्षा कर जाते है जो कि यहाँ के वातावरण को कुछ और ही खुशनुमा बना जाते हैं. आते जाते यह बात समझ आ गई है कि हिन्दी आते हुए भी कन्नड़ बोलना यहाँ के टैक्सी चालकों का पैसा बनाने का एक तरीका है. और यही वजह है की हम लोग अब टैक्सी करने से परहेज करने लगे हैं. करते भी हैं तो ऐसी जगह की जहाँ की दूरी और किराए की पूरी जानकारी है. यह सच है कि यहाँ कन्नड़ बोलने वाले बहुसंख्यक हैं परन्तु हिन्दी बोलने और समझने वालों की कमी भी नहीं है.अब सुबह ८.३० से शाम ४.३० तक के ट्रेनिंग के बाद ब्लॉगिंग के लिए अच्छा खासा समय मिल जाया करेगा. अतः शेष बातें अगली पोस्टों के माध्यम से पहुँचाता रहूँगा. आज के लिए बस इतना ही....
धन्यवाद"
1 comment:
ठीक है इन्तजार करते हैं...
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