Thursday, December 16, 2010

"पहली पोस्ट कानपुर ब्लॉगर एसोसिएसन के लिए"

(मजे की बात ये है कि इस बार फिर परीक्षाओं  के बाद आप सब के सामने उपस्थित हूँ.  कानपुर ब्लॉगर एसोसिएसन के लिये  "संभव हो सके तो कुछ इंसान बनाए" शीर्षक से मैंने आज एक पोस्ट लिखी. समय की कुछ कमी है सो यहाँ के लिये कुछ अलग नहीं लिख पा रहा. अतः उसी पोस्ट को यहाँ भी ठेल रहा हूँ ).
 असमंजस में हूँ कि कानपुर ब्लॉगर एसोसिएसन पर पहली पोस्ट के रूप में क्या पोस्ट करूँ? बातें बहुत सी हैं कहाँ से शुरू करूँ और कहाँ तक करूँ. ब्लॉग पे एक सदस्य के रूप में आगे भी बहुत सारी बातें होती रहेंगी पर आज कानपुर ब्लॉगर एसोसिएसन  के ब्लॉगर बन्धुवों से कहना चाहूँगा की आजकल मुझे इन्सान और इंसानियत  की कमी सी लग रही है, सब के सब मशीन के से बने हुए दिखते हैं. ऐसे में यदि हम कुछ ऐसा करें की कुछ इन्सान बना सकें तो ??????????????????
                                 मुझे पता है कि आज ब्लोगिंग से जितने भी लोग जुड़े हैं उनके अन्दर प्रेम,भाव,संवेदना और इंसानियत नाम की चीजें हैं, तभी वे यहाँ कुछ लिख पाते हैं. ये वे लोग हैं जो घिसी पिटी जिंदगी से ऊपर उठ कुछ करने का माद्दा रखते हैं और कुछ कर सकते हैं. ये भी पता है की ब्लॉगिंग की इस दुनिया में कुछ ऐसे भी छद्म वेशधारी लोग बैठे हैं जो की कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठ कीबोर्ड पे उँगलियाँ चला बहुत बड़ी बड़ी बातें लिख जातें हैं लेकिन वास्तविक जीवन में उनका उससे कोई ताल्लुक नहीं. लेकिन सुकून की बात ये है कि यहाँ ऐसे लोगों की संख्या कम ही है. मैंने अपनि बातों को पंक्तियों में प्रस्तुत करने का प्रयास किया है, कुछ ऐसे............

कविता लिखी कहानी लिखी और है ज्ञान बढाया
कभी कुछ   विशिष्ट लिखकर   है नाम    कमाया
आज तेरी    लेखनी को   है   चुनौती   मेरी एक
विजयी कहूँगा तुम्हे   जो कुछ इन्सान   बनाया

क्षमता है तेरी लेखनी में   तेरे ह्रदय  में भाव है
अगर कोरी    कल्पना      से     तुम्हे दुराव है
तो लिखो आज, कल कोई तूफान लाने के लिये
बढ़ो आज कल   को सोचेंगे    कहा    पड़ाव है

चल रही हैं आंधियां     खुद   को     बचाना सीख लें
वक्त जद में न हो   तो    कंधे   झुकाना    सीख    लें
चीख कर कमजोरियां छिपाने वालों से डरते हैं क्यों
शांत रहकर सत्य    से नाता     बनाना     सीख ले

अगर चेहरा ही बताता दिल के अन्दर   की     असलियत
तो फिर   इन    फरेबियों का     ठिकाना     होता    कहाँ
अच्छा है सफल हो जाना इनका कभी कुछ इस कदर की 
इस ज़माने में सही     की   पहचान     भी    होती     रहे 
धन्यवाद"